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क्राइम

मंदारिन में बातकर बिहारी ने 78 लाख ठगे; बीजिंग में साइबर फ्रॉड से मिलकर भारत में गैंग बनाया, थाईलैंड जाते वक्त गिरफ्तार

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गुरुग्राम: गुरुग्राम के रहने वाले एक व्यक्ति को चीनी भाषा मंदारिन जानने वाले बिहार के एक 27 वर्षीय व्यक्ति ने 78 लाख रुपये का चूना लगा दिया। इस व्यक्ति को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया और गुरुग्राम लाया गया। उसे छह दिन की पुलिस रिमांड पर रखा गया है।

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार शख्स मंदारिन भाषा में बात कर लेता है क्योंकि वह पढ़ाई के लिए बीजिंग गया था। वह पिछले तीन वर्षों से एक चीनी नागरिक की ओर से भारत में साइबर धोखाधड़ी गिरोह का चला रहा था। आरोपी की पहचान नवनीत कुमार भारती के रूप में हुई है।

थाईलैंड की फ्लाइट लेने से पहले पकड़ा गया

पुलिस ने कहा कि भारती के लिए एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था। इसके कारण थाईलैंड की फ्लाइट लेने का प्रयास करते समय सुरक्षा कर्मियों ने उसे हिरासत में ले लिया। पुलिस के अनुसार भारती के मोबाइल फोन पर मिले व्हाट्सएप और टेलीग्राम चैट से पता चला है कि वह चीनी नागरिक के साथ नियमित संपर्क में। गिरोह के एक और भारतीय शामिल है। वह थाईलैंड में रहता है। उसने भारती को गिरोह चलाने में उसके साथ जुड़ने को कहा था। यही कारण था कि उसने औरंगाबाद से बेंगलुरु पहुंचने के बाद थाईलैंड जाने की योजना बनाई।

तीन मोबाइल फोन,दो सिम कार्ड और 30,000 रुपये नकद बरामद

पुलिस ने दोनों मैसेजिंग ऐप की जानकारी साझा करने के लिए नोटिस भेजा है ताकि विदेशी नागरिक की वास्तविक पहचान। उसके स्थान का पता लगा जा सके। भारती के कब्जे से तीन मोबाइल फोन,दो सिम कार्ड और 30,000 रुपये नकद बरामद हुआ है। हटाए गए किसी भी डेटा को रिकवर करने के लिए फोन को फोरेंसिक एनालिसिस के लिए भेजा जाएगा।

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बीजिंद में पढ़ाई के दौरान चीनी नागरिक से मिला

डीसीपी ने आगे बताया कि भारती ने सिक्किम के केंद्रीय विश्वविद्यालय से मंदारिन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह बीजिंग चला गया, जहां उसे मंदारिन का अध्ययन करने के लिए बीजिंग के लैंग्वेज एंड कल्चर यूनिवर्सिटी में मास्टर कोर्स में दाखिला लिया। बीजिंग में रहने के दौरान, भारती एक चीनी नागरिक से मिला और वह साइबर आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया।

भारत लौटने के बाद गिरोह बनाने में मदद

पुलिस के अनुसार 2021 में भारत लौटने के बाद उसने संदिग्ध के लिए काम करना शुरू कर दिया। उसे एक गिरोह बनाने में मदद की। गैंग के सदस्यों के साथ बातचीत की और कम से कम छह बैंक खाते उपलब्ध कराए, जिनका इस्तेमाल भारत भर में पीड़ितों से कई करोड़ रुपये ठगने के लिए किया गया।

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