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ATM Fraud: एटीएम बूथ में हेल्प के नाम पर ठगी, जानें क्या है पूरा मामला

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ATM Fraud: एटीएम बूथ में हेल्प के नाम पर ठगी, जानें क्या है पूरा मामला

देश में बढ़ते साइबर क्राइम (Cyber Crime) के बीच गाजियाबाद (Ghaziabad) से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां पुलिस ने अंतरराज्यीय गैंग के 2 शातिर बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। ये लोग एटीएम बूथ (ATM) में हेल्पलाइन नंबर की जगह अपना मोबाइल नंबर लिखकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।

गिरफ्तारी के दौरान आरोपियों के पास से कार, 10 डेबिट कार्ड (Debit Card), चाकू और 55 हजार रुपये समेत कई सामान बरामद हुआ है। गिरफ्तार हुए शातिर लोग देश के कई राज्यों में ऐसी वारदात को अंजाम दे चुके हैं।

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ऐसे दिया ठगी को अंजाम

पुलिस ने बताया कि ये लोग एटीएम बूथ जाकर एटीएम कार्ड इंसर्ट करने वाली जगह पर फेवीक्विक जैसा कोई पदार्थ लगा देते थे, जिससे कार्ड अंदर जाकर बुरी तरह से चिपक जाता था। इसके बाद कार्ड यूजर हड़बड़ी में वहां लिखे हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number) पर संपर्क करता था। इसके बाद ये लोग उसके अकाउंट की सारी डिटेल लेकर उसके खाता खाली कर देते थे।

एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद (ADCP Crime Satchidanand) ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों का नाम गौरव और संदीप हैं। गौरव ने बीकॉम पास की हुई है और फ्रॉड से पहले कॉल सेंटर

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(Call Center) में जॉब भी कर चुका है। ये वही आरोपी है जो मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने वालों से बैंक कर्मी बनकर बात किया करता था। हालांकि गैंग का लीडर संदीप था। इस गैंग के दो अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

यहां से सीखा ठगी का तरीका

पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) के अलावा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा समेत देश कई राज्यों में इसी तरह की 100 से ज्यादा वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। गैंग के लीडर संदीप ने बताया कि उसकी गाजियाबाद में एक मोबाइल की दुकान थी, जिसे बहन की शादी के कारण बेचना पड़ा था। दुकान बेचने के बाद उसे कमाई का कोई और जरिया नजह नहीं आ रहा था। इसलिए उसने यू-ट्यूब (Youtube) पर एटीएम बूथ में होने वाली ठगी के बारे में अच्छे से जाना। इसके बाद उसने भी ठगी का रास्ता अपनाते हुए लोगों के साथ फ्रॉड करना शुरू कर दिया। उसने इस काम में बाद में गौरव को भी अपने साथ मिला लिया।

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बूथ में हेल्पलाइन की जगह लिखा अपना फोन नंबर

संदीप ने पूछताछ में बताया कि उसकी गैंग ऐसे एटीएम बूथ को अपना निशाना बनाती थी, जहां कोई गार्ड मौजूद नहीं होता था। यहां वे हेल्पलाइन नंबर के तौर पर अपना फोन नंबर लिख देते थे। इसके बाद वे एटीएम में जाते और कार्ड लगाने की जगह पर फेवीक्विक लगा देते थे। जिससे बाद कार्ड उस पर चिपक जाता था। वर्तमान में कार्ड ट्रांजेक्शन के बाद ही निकाल सकते हैं। इस के बाद वे मदद के लिए एटीएम बूथ पर लगे नंबर पर बात करते हैं। जिसके बाद गौरव बैंककर्मी के तौर पर उन लोगों से बात करता था और लोगों को एक बार फिर से पिन डालने के लिए कहता था। इस दौरान पीड़ित की मदद के एटीएम में खड़ा उन्हीं का साथी पिन देख लेता था। बाद में गौरव कार्ड के पीड़ित को कार्ड ब्लॉक होने की जानकारी देता और अगले दिन बैंक में आधार (Aadhaar) ले जाकर कार्ड लेने को कह देता था। पीड़ित के जाने के बाद वह चाकू के जरिए एटीएम से कार्ड निकालकर उसके अकाउंट से सारे पैसे निकाल लेता था।

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