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New Parliament House cyber security: ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ और साइबर सिक्योरिटी से लैस है नया संसद भवन, जानें क्या है खास
New Parliament House Cyber Security: नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है। संसद भवन के बारे में आप सभी ने काफी कुछ पढ़ा होगा जैसे, वह कैसा दिखता है, उसमें कितनी सीटें हैं, उसकी दीवारों पर चाणक्य और अखंड भारत का चित्रण आदि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार नई सांसद में एक और ऐसी चीज है जिसका खास ध्यान रखा गया है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है। दुश्मन देश के हैकर-इंटरनेट अंडरवर्ल्ड की सेंधमारी से बचने के लिए नई संसद में काफी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। जिस कारण अब फिशिंग, साइबर हमले और रैनसमवेयर भी संसद में सेंधमारी नहीं कर पाएंगे। जिन विशेषज्ञों ने इस सिस्टम को तैयार किया है। उन्होंने इसे ‘State of Art’ साइबर सिक्योरिटी (Cybersecurity) का नाम दिया है। इस सिस्टम को ‘Proactive Cyber Security’ भी कहा जाता है
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नए संसद भवन (New Parliament) का साइबर सिक्योरिटी सिस्टम इतना मजबूत बनाया है कि वह साइबर अपराध (Cyber Crime) की काली दुनिया जिसे ‘डार्क वेब’ (Dark Web) और ‘इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड’ भी कहा जाता है। उसे नई संसद भवन के आईटी सिस्टम (IT System) के पास भटकने तक नहीं देगा।
डबल सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सिस्टम (Double Security Operating System)
नया संसद भवन परिसर को साइबर सिस्टम से फूलप्रूफ बनने वाली टीम ने यह दावा किया है कि कोई भी हैकर यहां के उपकरणों में सेंधमारी करने के लिए बुनियादी ढांचे में नहीं घुस सकता है। इसलिए इसे ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ नाम दिया गया है। पूरे संसद भवन के चारों ओर “डिजिटल सर्विलांस” की जंजीरें लगा दी गई हैं। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी IT की मदद ली गई है। अन्य किसी आपातकालीन स्थिति (Emergency) का मुकाबला करने के लिए डबल सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सिस्टम (double security operating system) है।
बता दें कि इंटरनेट एकीकृत नेटवर्क के अलावा संसद भवन में एयर-गैप्ड कंप्यूटर तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है। जो वायरलेस से कनेक्ट नहीं हो सकता। एयर गैप कंप्यूटर सिस्टम के जरिए मैलवेयर और रैनसमवेयर से डेटा को सुरक्षा मिलेगी। इसे इंट्रानेट यानी बाकी नेटवर्क से अलग नाम दिया गया है।
वाईफाई पर करीब 2500 इंटरनेट नोड्स
सुरक्षा संचालन केंद्र ने नए संसद परिसर में वाईफाई (WIFI) पर करीब 2,500 इंटरनेट नोड्स के devices लगाए हैं। 1,500 एयरगैप्ड नोड्स (Airgraped Nodes) और 2,000 devices का नेटवर्क, इन सब पर केंद्रीयकृत तरीके से नजर रखी जाएगी।
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रैनसमवेयर से संसद भवन का डेटा रहेगा सुरक्षित
देश में साइबर हमले (Cyber Attack) के तहत फिशिंग और रैनसमवेयर की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। फिशिंग से तो फिर भी आप बच सकते हैं, लेकिन रैनसमवेयर यानी फिरौती मांगने वाले सॉफ्टवेयर ये आपकी मुसीबतों को बढ़ा सकते हैं। ये किसी भी प्राइवेट और सरकारी कंपनी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर सिस्टम की फाइलों को आसानी से एनक्रिप्ट (Encrypt) किया जा सकता है यानी डेटा हैक हो सकता है। जैसे ही एक बार डेट हैक हुआ तो फिर फिरौती का दौर शुरू हो जाता है। यदि कोई फिरौती दे देता है तो उसका डाटा वापस मिल जाता है। लेकिन जो नहीं देते, उसका सारा डेटा खराब कर दिया जाता है या फिर डार्क वेब पर बेच दिया जाता है। ऐसे में अगर किसी के बास फाइल बैकअप नहीं है तो वह आसानी से मुसीबत में पड़ सकता है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) की मदद से नए संसद भवन में रैनसमवेयर और फिशिंग के खतरे को काफी हद तक कम कर दिया गया है।
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