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क्राइम

ठगी के क्रैश कोर्स में जामताड़ा के ठग दे रहे ऑनलाइन लेक्चर, राजस्थान में 50 हजार से 1 लाख रुपये की फीस लेकर दी जा रही Cyber Fraud की क्लास, हैरान कर देने वाला है पूरा खेल

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ठगी के क्रैश कोर्स में जामताड़ा के ठग दे रहे ऑनलाइन लेक्चर, राजस्थान में 50 हजार से 1 लाख रुपये की फीस लेकर दी जा रही Cyber Fraud की क्लास, हैरान कर देने वाला है पूरा खेल

साइबर ठगी का मामला सामने आते ही हमेशा हमारे दिमाग में झारखंड़ के जामताड़ा (Jamtara) का नाम आता है। यही वजह है कि इस पर फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से हजारों किलोमीटर दूर बैठे ठग आप को एक फोन कॉल पर मिनटों में ठग लेते हैं। अब इसी ठगी का नया अड्डा राजस्थान का भरतपुर बन गया है।

जहां से साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) के कई मामले सामने आ चुके हैं। इतना ही नहीं यहां साइबर ठग बनाने के लिए 50 हजार से 1 लाख रुपये की फीस लेकर ठगी की क्लास दी जा रही है। इसमें इसमें जामताड़ा के बड़े ठग प्रोफेसर के रूप में लेक्चर दे रहे हैं।

दरअसल, राजस्थान के भरतपुर के आसपास स्थित क्षेत्र में चल रहे इस पूरे सिंडिकेट का खुलासा दैनिक भास्कर अखबार के रिपोर्टर ने किया है। रिपोर्टर ने अपनी खबर में दावा किया वह साइबर ठगी का क्रैश कोर्स चलाने वाले ठगों से टेलीग्राम पर मिला था। यहां उसने साइबर ठगों से प्रशिक्षण की इच्छा जाहिर की। फिर जानें कैसे ठगी की क, ख, ग सिखने पहुंच गया रिपोर्टर।

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रिपोर्टर ने अपनी खबर में बताया कि टेलीग्राम पर मिले ठगों ने उसे दिल्ली मिलने के लिए बुलाया। इसके बाद भिवाड़ी बुलाया गया। जब वह भिवाड़ी पहुंचा तो उसे भरतपुर आने के लिए कह दिया गया। भरतपुर पहुंचने पर साइबर ठगी से जुड़े सिंडिकेट के लोग उसे वहां से करीब 60 किमी दूर सेंटर पर ले गये। यहां पहले इंटरव्यू लिया गया। जिसमें ठगी का कोर्स करने की वजह, अनुभव और इससे जुड़े और दूसरे सवाल पूछे गये। इसके बाद ट्रेनिंग कोर्स में एडमिशन दिया जाता। सेंटर में एडमिशन लेने के बाद ही एंट्री दी जाती है। इसके साथ ही सेंटर की तरफ से बाकायदा एक यूनिफॉर्म दी जाती है। यह बिना बाजू और जेब की शर्ट और पैंट होती है। जिसे पहनने के बाद प्रशिक्षण शुरू होता है।

एडमिशन के लिए निर्धारित किया हुआ है पैमाना
ठगी के इस ट्रेनिंग सेंटर में एडमिशन के लिए भी पूरा पैमाना निर्धारित है। यहां करीब आंधे घंटे के इंटरव्यू के बाद रिपोर्टर को दाखिला दिया गया। साथ ही बताया गया कि एडमिशन के कैंडिडेट के पास फर्जी कॉल सेंटर का 6 से 7 माह का अनुभव, फर्जी दस्तावेज और लैपटॉप होना जरूरी है।

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ऐसा है साइबर ठगी का सिलेबस और टीचर
ठगी के ट्रेनिंग सेंटर में कम्यूनिकेशन स्किल पर काफी जोर दिया जाता है। इसमें ऐसी कम्युनिकेशन स्किल सिखाई जाती है। जिसे लोगों को फंसाया जा सके। ठगी का शिकार बनाते समय कैसे उसके बैंक खाते से लेकर ट्रांसफर कराने तक की सावधानियां सिखाई जाती है। इसके अलावा डाटा खरीदने तक की पूरी जानकारी दी जाती है। गजब की बात यह है कि यहां लेक्चर देने वाले ठगी के मास्टर और गेस्ट टीचर भी हैं। इनमें ज्यादातर गेस्ट टीचर जामताड़ा से हैं। जो ऑनलाइन एक से डेढ़ घंटे के लेक्चर के लाखों रुपये वसूल करते हैं। इसके बदले में वे ठगी कैसे करनी है। किन को कैसे फंसाना है। इन सभी की बारीकियां समझाते हैं।

ठगी कोर्स में दी जाती हैं ये हिदायत
दावा किया जा रहा है कि सेंटर में ट्रेनिंग लेने वाले कैडिडेंट्स को यहां के मास्टरों द्वारा एक हिदायत भी दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि कैसे शहरी लोगों को ज्यादा टारगेट करना है। इसकी वजह ठगों का डेटा कहता है कि गांव वालों की जगह 5 में से 3 शहरी निवासी उनका शिकार आसानी से बन जाता है। वहीं गांव के लोग ज्यादा सवाल पूछते हैं। ज्यादा समय खाते हैं। इसके बाद भी 10 में से 1 ग्रामीण मुश्किल से फंसता है। ऐसे में इन पर टाइम खराब जाता है।

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