क्राइम
बाल यौन शोषण: सोशल मीडिया पर केवल लिंक फारवर्ड करने से बन सकते हैं आरोपी

बाल यौन शोषण (child sexual abuse) के मामले में सोशल मीडिया पर किसी अश्लील कंटेंट का लिंक फारवर्ड करना ही आपको आरोपी बना सकता है। इससे संबंधित कंटेंट को आप देखें या न देखें या फिर आप अंजाने में ही उसके लिंक को क्लिक या फारवर्ड कर दें तो आप आईटी एक्ट (IT Act) के तहत आरोपी बन सकते हैं।
इसकी निगरानी जांच एजेंसियां ऑनलाइन करती हैं, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाती है। हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने देश भर में जो छापेमारी की, वह इसी आधार पर पड़ताल के बाद की गई है। इस दौरान नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसमें ग्वालियर के पिछोर क्षेत्र के युवक राहुलके घर भी छापा मारा गया है। जांच टीम उसका मोबाइल सिम कार्ड अपने साथ ले गई।
प्राथमिक पड़ताल में राहुल भी चार से पांच वाट्सएप ग्रुप में जुड़ा पाया गया। उसने भी ऐसे लिंक देखे और फारवर्ड किए थे। वहीं, ग्वालियर-चंबल अंचल में 2020 में ऐसे 129 लोगों पर केस दर्ज किया गया, जो मोबाइल या कंप्यूटर पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देख रहे थे।
साइबर सेल को पहुंचता है आइपी एड्रेस और मोबाइल नंबर
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ट्रिपलाइन ¨वग के जरिये इस तरह के मामलों की निगरानी की जाती है। इसके तहत आप बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देखेंगे, फारवर्ड करेंगे या ¨लक पर क्लिक करेंगे तो सर्वर उसे ट्रैक कर लेता है। मोबाइल फोन पर किसी भी माध्यम से बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री का ¨लक आता है या कोई व्यक्ति किसी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक सामग्री को सर्च करता है या फिर अंजाने में भी उस ¨लक पर क्लिक करता है तो उसकी जानकारी साइबर सेल के पास पहुंच जाती है। साइबर पुलिस आइपी एड्रेस और मोबाइल नंबर के जरिये उस तक पहुंच जाती है।
पांच साल की सजा का प्रावधान
यदि आपके मोबाइल फोन, लैपटाप या कंप्यूटर में बच्चों से जुड़ा अश्लील कंटेंट मिलता है तो पांच साल तक की सजा हो सकती है। आइटी एक्ट की धारा 67-बी में यह प्रावधान वर्ष 2000 से है।
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