क्राइम
साइबर ठगी के ‘हब’ जामताड़ा से 14 ठग गिरफ्तार, कर चुके हैं करोड़ों की ठगी, रोज 4-5 लोगों को लगाते थे चूना
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को झारखंड के जामताड़ा से संचालित शातिर साइबर ठग गिरोह के सरगना अल्ताफ अंसारी समेत 14 सदस्यों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है। साइबर सेल यह आपरेशन प्रहार पार्ट दो नाम से चलाया। उसको गाजियाबाद, जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह व जमुई इलाके में सात दिनों तक कार्रवाई कर यह कामयाबी मिली।
पुलिस के अनुसार इन्होंने 36 लोगों में करीब 1.2 करोड़ रुपये की ठगी की है और रोजाना 4-5 लोगों को ठगने की बात स्वीकारी है। अपने गिरोह और आस-पास के इलाके में रॉकस्टार के नाम से मशहूर अल्ताफ को तीन जिलों में 100 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद गिरफ्तार गया है। गिरोह के तकनीकी मास्टरमाइंड गुलाम अंसारी उर्फ मास्टरजी को भी पकड़ गया है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
डीसीपी (साइबर सेल) अन्येष राय के मुताबिक गिरफ्तार ठगों में गुलाम अंसारी (जामताड़ा) व अल्ताफ अंसारी (देवघर) के अलावा सरफुददीन मोहम्मद (गिरिडीह), सैनुल अंसारी (गिरिडीह), गुलाम मुस्तफा (गिरिडीह), अफताब आलम (गिरिडीह), रफीक आलम (देवघर), आजाद मियां (देवघर), सोहेल अंसारी (देवघर), फुरकान अंसारी (देवघर), अशोक वर्मा (जमुई), संजय वर्मा (जमुई), अभिषेक वर्मा (जमुई) व राजू शर्मा (जमुई) शामिल हैं। इन्होंने पिछले कुछ समय से एक के बाद एक हजारों लोगों को ठगी का शिकार बनाया था। ठगी के पैसों से गिरोह के सदस्य कोलकाता में आराम की जिंदगी गुजारते थे और कुछ दिनों के लिए ही अपने-अपने गांव जाते थे।
सभी की जिम्मेदारी अलग
पुलिस के अनुसार गुलाम अंसारी ने बैंकों की फर्जी वेबसाइट व ई कामर्स पोर्टल बनाए। लोगों को लालच दिलाने के लिए गूगल से विज्ञापन दिलाने का अभियान चलाया। अंसारी विज्ञापन अभियान के एक्सपर्ट, काल करने वालों व खाता धारकों के बारे में जानकारी मुहैया कराने वालों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करता था। साथ ही उसके किसी भी ठिकाने पर पुलिस टीम न पहुंच पाए। इसके लिए अपने मुखबिर तैनात करने का काम करता था। सरफुद्दीन मोहम्मद एजेंट था। धोखाधड़ी के पैसे को प्राप्त करने के लिए 10-15 हजार रुपये में खाता खुलवा कर देता था। सैनुल अंसारी खुद को बैंक अधिकारी या ग्राहक सेवा कार्यकारी बताकर लोगों को झांसे में लेने के लिए फोन करता था। अन्य सदस्य अलग-अलग बैंकों के कर्मचारी बनकर ठगी का शिकार बनाने के लिए लोगों को काल करते थे।
लगातार मिल रही थी शिकायतें
पुलिस के अनुसार राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिग पोर्टल पर साइबर धोखाधड़ी की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। फोन करने वाले बैंक कर्मचारी बनकर लोगों को रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करते थे। दिल्ली के एक नामी अस्पताल में कार्यरत डाक्टर को रिमोट एक्सेस एप इंस्टाल करवा कर ठग ने उनके खाते से 10 लाख रुपये गायब कर दिए थे। तुरंत शिकायत करने पर साइबर सेल ने करीब आठ लाख रुपये बैंक में ब्लाक करवा दिए थे।
गुलाम सबसे पहले गिरफ्तार
पुलिस ने सबसे पहले गुलाम अंसारी व अल्ताफ अंसारी को गाजियाबाद के लोनी से गिरफ्तार किया। दोनों कुछ समय पहले यहां आए थे। इनके पास से कई उपकरणों को जब्त करने के बाद पूछताछ में जामताड़ा के ठिकानों का पता लगाया गया। तब कहीं जाकर जामताड़ा, देवघर व जमुई से 12 अन्य आरोपियों को दबोचा गया। ठगी के पैसे से खरीदी गई अल्ताफ की नई स्कार्पियो गाड़ी सहित अन्य सामान भी जब्त किया गया है।
जमुई में था गर्भवती महिलाओं को ठगने वाला गिरोह
गिरोह से जुड़ा एक मॉड्यूल बिहार के जमुई से संचालित हो रहा था। गिरोह ने स्वास्थ्य अधिकारी बनकर अलग-अलग राज्यों में आंगनबाडी कर्मचारियों से संपर्क किया और उनके जरिए गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं का विवरण प्राप्त कर लिया। महिलाओं से संपर्क कर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पांच हजार रुपये देने का झांसा दिया। इसके बाद बैंक खातों की जानकारी प्राप्त कर सारा पैसा गायब कर दिया। ठगी के पैसों से खरीदे गए वाहन और अन्य सामान पुलिस ने जब्त कर लिया है। दिल्ली-एनसीआर के अलावा लखनऊ, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में भी कई लोगों को शिकार बना चुके थे।
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